अनियमित दिनचर्या से महिलाओं को हो सकती है अर्ली मेनोपॉज की समस्या, जानें इसके नुकसान

अनियमित दिनचर्या से महिलाओं को हो सकती है अर्ली मेनोपॉज की समस्या, जानें इसके नुकसान

सेहतराग टीम

लॉकडाउन होने की वजह से लोग घरों में हैं और इसी कारण लोगों की आदत में लचीलापन आ गया है। अधिकतर लोगों ने अपने खाने-पीने का समय भी बदल दिया है। यही नहीं उनकी दिनचर्या भी अनियमित हो गई है। इन सब से हमारे जीवन में काफी प्रभाव पड़ रहा है। इसकी वजह से सेहत भी खराब होने के चांस ज्यादा रहते हैं। वैसे ये सभी लोगों को परेशान करता है। लेकिन महिलाओं को ये सब ज्यादा ही प्रभावित करता है। इन सबके कारण उनके सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें से एक है अर्ली मेनोपॉज।

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अर्ली मेनोपॉज

एक सर्वे के अनुसार भारत की लगभग 8 प्रतिशत स्त्रियों में 35-40 साल के बीच ही मेनोपॉज के लक्षण नजर आने लगे हैं।

प्रमुख कारण

तनावपूर्ण जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों का स्त्रियों की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है। नाइट शिफ्ट की जॉब, जंक फूल, एल्कोहॉल, सिगरेट और मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन, शारीरिक श्रम और एक्सरसाइज की कमी आदि वजहों से आजकल स्त्रियों में समस्या देखने को मिलती है। आनुवांशिकता या कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के चलते भी ऐसी समस्या हो सकती है। किसी समस्या की वजह से की जाने वाली यूट्रस रिमूवल सर्जरी के कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है।

क्या है नुकसान

मेनोपॉज के बाद स्त्रियों के शरीर में फीमेल हॉर्मोन एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है, जो उनकी हड्डियों के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। इसकी मात्रा घटने के कारण हड्डियों से कैल्शियम का रिसाब होने लगता है। इससे वे इतनी कमजोर हो जाती हैं कि मामूली चोट लगने पर भी टूट सकती हैं। मेनोपॉज के बाद हॉर्मोन संबंघी असंतुलन के वजह से त्वचा पर तेजी से झुर्रियां पड़ने लगती हैं। 

प्रमुख लक्षण

अनियमित पीरियड्स, वजाइनल ड्राइनेस, हॉट फ्लैशेज, जोड़ों में दर्द, अनिद्रा और चिड़चिड़ापन आदि।

कैसे करें बचाव

यह शरीर के अंदर होने वाली सहज प्रक्रिया है और इसे पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता। अगर असमय ऐसे लक्षण नजर आएं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह लें। जरूरत महसूस होने पर दवाओं और इंजेक्शन की मदद से हॉर्मोन थेरेपी दी जाती है। इसकी मदद से अर्ली मेनोपॉज को कुछ दिनों तक टाला जा सकता है पर वह इसका स्थायी इलाज नहीं है। अतः इससे बचाव के लिए संतुलित-संयमित खानपान, नियमित दिनचर्या, मॉर्निंग वॉक और एक्सरसाइज को अपनी जीवनशैली का जरूरी हिस्सा बनाएं।

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